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Majhi Janmathep (1927)

by V.D. Savarkar(Favorite Author)
4.32 of 5 Votes: 3
languge
English
publisher
Parchure Prakashan Mandir
review 1: उस वक्त भारत देश अंग्रेजों की गुलामी में जी रहा था. तब हिन्दुस्थान के खूंखार कैदियों को जिन्हें लंबी सजा मिली है ऐसे कैदियों को रखने के लिए नयी जेल जो हिन्दुस्थानकी सरहद से कोसो दूर चारो तरफ से पानी से घिरे टापू पर बनाना तय हुआ . यह टापू कलकत्ता याने आज का कोलकाता से १२९९ किलोमीटर दूर दक्षिण में और मद्... moreरास से याने आज के चेन्नई से १३६२ किलोमीटर दूर पूर्व में बंगाल की खाड़ी में याने हिंद महासागर में स्थित है . यह एक छोटासा मगर बहोत सरे द्वीप समूहों का पुंज है जिसका नाम है अंदमान निकोबार द्वीप समूह . अंदमान द्वीप पर उस वक्त सिर्फ घने जंगल कटीले व्रुक्ष दलदली जमीन भयानक और जहरीले किट साप बिच्छु मौजूद थे और साथ ही ऐसे मानवों की बस्ती जिनका आज तक दुनिया के किसभी भी जनजाति से सामना न हुआ हो जो अधनंगे बदन शिकार के लिए घूमते थे. और कंद मूल खाकर जीते थे. अन्ग्रेजोने बाद में यहापर तोता मैना हिरन कुत्ते जैसे कई प्राणी भारत देश से लाकर इस जंगल में छोड़े . ऐसे जंगल में जेल हो तो कोई कितना भी खूंखार कैदी हो तो भी यहासे भागने की भूल नहीं कर सकता था. Sarang TopareNagpur
review 2: I remember we had an extract as a lesson in our study books, which inspired me go ahead & read the book, unfortunately could not finish the book completely as at that time i found it very descriptive & language used was very pure form of marathi...i now will search for this book in library & whenever i will get it, will finish reading completely. My request to all not to rely on my ratings of 2 to this book cause it might not be actually the case when i finish it all. less
Reviews (see all)
Ca573113
One of the Greatest freedom fighter of our country and his story leaves you numb.
Mable
Height of patriotism... Best
Terry
hfhhhfdhhd
Watever4489
nice book
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